Monday 30 January 2017

युवाओं की सही दिशा।

युवा का उल्टा होता है वायु । हमारे देश का युवा संघ में बहुत बुद्धिमान है सामर्थ्यवान है ललक है। पर वो सब कुछ जानते हुए भी अनजान क्यों है? उन्हें लाभ हानि की भी बेहतर समझ है फिर भी वो समय काम को टालना सीख गये है।।
        इसका एक कारण समझ है कि हमने अपने युवाओ को देश के वीर-सपूतो की कहानी  पढ़ना,लिखना, सुनाना कहां सिखाया था। हमारे युवा आज अपने आप को असर्मथ समझने लगते हैं। छोटे-छोटे काम से बच जाते है। आज देश का इतिहास पढ़ा होता तो जानते की फतेह और जोरावर सिंह ने छोटी सी उम्र में अपने आप को कितना तपाया होगा। जो उम्र बच्चों की खिलौनों से खेल कर हंसने की उम्र थी। उस समय वो देश के लिए बलिदान हो गये थे। आज के बच्चों ने जरा सा खून देखकर कितना भयभीत हो जाते है।।
       हमको अपनी मातृभाषा, संस्कृति पर अभिमान होना चाहिए। क्यों ना हो अभिमान? इस संस्कृति , संस्कारों से आज हम विश्व आदर्श बने हुए हैं। हम पर जितने भी आरोप लगे हम निष्पक्ष उनसे विजयी हुए।
पर उन परंपराओं, संस्कारों, संस्कृति से हमारे युवा क्यो दूरी बना रहे हैं।। हम पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े होने में अभिमान करते हैं। हमें युवाओं को जगाने के लिए पहले पश्चिम को जगाना पड़ेगा क्योंकि हमारे देश की ये धारणा है कि पश्चिम की सभी बातें सौ आने सही होती है। सबसे पहले ये पश्चिमी सभ्यता पर अभिमान करने की धारणा को अपने वेदों के आगे झुकना होगा, और ये बात युवा भी समझें।।,  और खुद होकर वेदों का हमारी हिंदू संस्कृति का हमारे हिंदू विचारकों का हमारी आर्य संस्कृति का प्रचार करें जब यह हुआ तो समझा जाएगा कि हमारे युवाओं का हृदय परिवर्तन हुआ है अन्यथा जब तक हमारा कार्य अधूरा है तथा जब तक भारत एक हिंदू राष्ट्र में ही बनेगा हमें शांत नहीं बैठना है अथक मेहनत करनी है अपना इस भारत माता की की इस भारत माता को अपना सर्वस्व अर्पण करना है जिससे हम और हमारी भारत माता फिर से विश्व गुरु बन सके

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