Monday 3 July 2017

हमारा इतिहास अमर है।

रवि की कलम से....
वे हमहीं तो हैं कि इक हुंकार से यह भूमि कांपी; वे हमहीं तो हैं,जिन्होंने तीन डग में सृष्टि नापी..

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रविवार, 17 अप्रैल 2011
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
मित्रों इस पवित्र लेख की शुरुवात मोहम्मद अल्लामा इक़बाल के एक शेर से करना चाहूँगा..

यूनानो-मिस्रो-रोमाँ सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी, नामो-निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौरे-ज़माँ हमारा

हिन्दू आस्था,हिंदुत्व और हिन्दुस्थान दृढ़ता का प्रतीक सोमनाथ मंदिर: मित्रों आप में से ज्यादातर लोग इस मंदिर के के बारे में जानते होंगे.. प्रयास कर रहां हूँ थोड़ी विस्तृत जानकारी दूँ हमारे दृढ़ता के इस हिमालयी स्तम्भ के लिए..
सोमनाथ की भौगोलिक अवस्थिति : हिन्दुस्थान के राज्य गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर मात्र एक मंदिर न होकर हिंदुस्थानी अस्मिता का प्रतीक भी है..महादेव का ये मंदिर १२ ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है..इस मंदिर का भगवान महादेव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक प्रमुख स्थान है और प्राचीन काल से ये स्थल पर्यटन और श्रधा का एक केंद्र रहा है..गुजरात में सौराष्ट्र के बेरावल से 10 किलोमीटर दूर ये पावन स्थल स्थित है..
सोमनाथ का प्राचीन इतिहास :सोमनाथ के मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है..यह हिन्दुस्थान के प्राचीनतम तीर्थों में एक है.ऋग्वेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है..शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से इसे प्रथम माना जाता है..ऋग्वेद के अनुसार इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने कराया था..सोमनाथ दो शब्दों से मिल कर बना है सोम मतलब चन्द्र और नाथ का मतलब स्वामी.इस प्रकार सोमनाथ का मतलब चंद्रमा का स्वामी होता है...
दुसरे युग में इसका निर्माण रावण ने चांदी से कराया.. ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने अपना शारीर त्याग इस स्थान पर किया था जब एक बहेलिये ने उनके चमकते हुए तलवे को हिरन की आँख समझकर शर संधान किया था..इस कारण इस स्थल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है..सातवी सताब्दी में बल्लभ राजाओं ने इस मंदिर को बृहद रूप से सृजित कराया..
मंदिर का खंडन और बार बार पुनर्निर्माण:
इस मंदिर को तोड़ने और लुटने की परम्परा आतताइयों द्वारा लम्बी चली ..मगर हर बार हिन्दुओं ने ये बता दिया की "कुछ बात की हस्ती मिटती नहीं हमारी"आठवीं सदी में सिंध गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया तो ८१७ इसवी में नागभट्ट जो प्रतिहारी राजा था उसने इसका पुनर्निर्माण कराया..इसके बाद ये मंदिर विश्वप्रसिद्द हो गया ..अल बरुनी नमक एक यात्री ने जब इस मंदिर की ख्याति और धन का विवरण लिखा तो अरब देशों में कुछ मुस्लिम शासकों की लूट की स्वाभाविक वृत्ति जाग उठी...उनमें से एक पापी नीच था मुहम्मद गजनवी उसने १०२४-२५ में आक्रमण कर इसके धन को लूटा मंदिर को खंडित किया और शिवलिंग को खंडित किया और इस इस्लामिक लुटेरे ने ४५००० हिन्दुओं का क़त्ल कर दिया..फिर क्या था हिन्दू शासक मंदिर का बार बार निर्माण करते रहे और इस्लामिक लुटेरे इसे लूटते रहे..गजनवी की लूट बाद हिन्दू राजा भील और मालवा ने इसका पुनर्निर्माण कराया..मगर १३७४ में अफजल खान ने अपना लुटेरा गुण दिखया और लूट मचाने चला आया ये इस्लामिक लुटेरा..अब तो १३७४ से आखिरी बाबरी औलाद औरन्जेब ने इसे लूटा और तोड़ फोड़ की...हिन्दू अपनी सामर्थ्य के अनुसार निर्माण करते,कुछ सालों बाद बाबर की औलादे लूट करती...कुल मिलकर ऐसे २१ प्रयास हुए इसे तोड़ने के लुटने के और उसके बाद हिन्दू राजाओं और प्रजा द्वारा पुनर्निर्मित करने के..इस मंदिर के देवद्वार तोड़ कर आगरा के किले में रखे गएँ है .
जैसा की ज्यादातर हिन्दू पूजा स्थलों के साथ हुआ सोमनाथ को भी १७०६ में तोड़कर बाबर के वंशज आतातायी औरन्जेब ने मस्जिद निर्माण करा दिया.

आजादी के बाद का इतिहास : गुलामी के इस चिन्ह को हटाने के लिए में नमन करना चाहूँगा बल्लभ भाई पटेल और सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उच्छंगराय नवल शंकर ढेबर का जिन्होंने हिन्दुस्थान में एक अपवाद दिखाते हुए कम से कम एक हिन्दू स्थल को उसके पुराने रूप में लेन का भागीरथ प्रयत्न किया और अपने अभीष्ट में वे सफल रहे...बल्लभ भाई पटेल इस स्थल का उत्खनन कराया तो उत्खनन करते समय करीब १०-15 फुट की खुदाई में नीचे की नींव से मैत्री काल से लेकर सोलंकी युग तक के शिल्प स्थापत्य के उत्कृष्ट अवशेश पाए गए..।यहाँ उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया गया..यहाँ ये बात आप से साझा करा चलूँ की नेहरु मंत्रिमंडल ने इसके पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पास किया और मुस्लिम मंत्री मौलाना आजाद ने इसका अनुमोदन किया था...भारत

Monday 30 January 2017

युवाओं की सही दिशा।

युवा का उल्टा होता है वायु । हमारे देश का युवा संघ में बहुत बुद्धिमान है सामर्थ्यवान है ललक है। पर वो सब कुछ जानते हुए भी अनजान क्यों है? उन्हें लाभ हानि की भी बेहतर समझ है फिर भी वो समय काम को टालना सीख गये है।।
        इसका एक कारण समझ है कि हमने अपने युवाओ को देश के वीर-सपूतो की कहानी  पढ़ना,लिखना, सुनाना कहां सिखाया था। हमारे युवा आज अपने आप को असर्मथ समझने लगते हैं। छोटे-छोटे काम से बच जाते है। आज देश का इतिहास पढ़ा होता तो जानते की फतेह और जोरावर सिंह ने छोटी सी उम्र में अपने आप को कितना तपाया होगा। जो उम्र बच्चों की खिलौनों से खेल कर हंसने की उम्र थी। उस समय वो देश के लिए बलिदान हो गये थे। आज के बच्चों ने जरा सा खून देखकर कितना भयभीत हो जाते है।।
       हमको अपनी मातृभाषा, संस्कृति पर अभिमान होना चाहिए। क्यों ना हो अभिमान? इस संस्कृति , संस्कारों से आज हम विश्व आदर्श बने हुए हैं। हम पर जितने भी आरोप लगे हम निष्पक्ष उनसे विजयी हुए।
पर उन परंपराओं, संस्कारों, संस्कृति से हमारे युवा क्यो दूरी बना रहे हैं।। हम पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े होने में अभिमान करते हैं। हमें युवाओं को जगाने के लिए पहले पश्चिम को जगाना पड़ेगा क्योंकि हमारे देश की ये धारणा है कि पश्चिम की सभी बातें सौ आने सही होती है। सबसे पहले ये पश्चिमी सभ्यता पर अभिमान करने की धारणा को अपने वेदों के आगे झुकना होगा, और ये बात युवा भी समझें।।,  और खुद होकर वेदों का हमारी हिंदू संस्कृति का हमारे हिंदू विचारकों का हमारी आर्य संस्कृति का प्रचार करें जब यह हुआ तो समझा जाएगा कि हमारे युवाओं का हृदय परिवर्तन हुआ है अन्यथा जब तक हमारा कार्य अधूरा है तथा जब तक भारत एक हिंदू राष्ट्र में ही बनेगा हमें शांत नहीं बैठना है अथक मेहनत करनी है अपना इस भारत माता की की इस भारत माता को अपना सर्वस्व अर्पण करना है जिससे हम और हमारी भारत माता फिर से विश्व गुरु बन सके

Sunday 29 January 2017

Why govt not interfate..

Every year many Hindus not celebrating Durga Puja in Bengal like Kanglapahari because Muslims not allow!