Sunday 10 February 2019

देश का दुर्भाग्य है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर रोहिंग्या आज देश के लिए खतरा बनते जा रहे हैं

देश का दुर्भाग्य है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर रोहिंग्या आज देश के लिए खतरा बनते जा रहे हैं

1. रोहिंग्या संकट आज देश में एक गहन विषय बना हुआ है जिससे आज भारत जूझ रहा है प्रत्यक्ष रूप से और अप्रत्यक्ष रूप से यह भारत पर बहुत प्रभाव डाल रहे हैं। यह रोहिंग्या आखिर हैं कौन? यह भारत में क्यों आए? कैसे आए? इनको कौन लाया क्या भारत के लिए क्यों खतरा हैं। इस पर आज हम विचार करेंगे यह रोहिंग्या हमारे देश की अखंडता के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं।
2. रोहिंग्याओं को बसाकर जो बुद्धिजीवी वर्ग है। क्या हम इनको शरणार्थी समस्या समझ कर मानवीयता की बात करके, इनके मानवी अधिकार हो, बच्चों के अधिकारों, इसकी आड़ में क्या हम अपने देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं।
3. हम विस्तार से रोहिंग्या समुदाय की चर्चा करेंगे रोहिंग्या हैं कौन
 यह एक सुन्नी मुसलमान है
 जो 12वीं सदी के दशक में म्यांमार के रखाइन राज्य में बसे थे।
 म्यामार एक बौद्ध देश है, इसलिए म्यांमार के बौद्ध समुदाय ने उन्हें आज तक नहीं अपनाया है।
 म्यामार इन्हें बांग्लादेशी शरणार्थी मानते हैं।
 रोहिंग्या शब्द रोहांग से बना है जो आराकन से निकला है रखाइन का पुराना नाम आराकन था।
 वर्ष 1962 में म्यांमार में तख्तापलट के बाद सीमित हुए थे रोहिंग्याओं के अधिकार।
 वर्ष 1992 में रोहिंग्याओं को म्यांमार का नागरिक ना मानने वाला कानून पास करा।
 रोहिंग्या को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकार से वंचित कर दिया गया तथा रोहिंग्याओं के म्यांमार में कहीं आने-जाने पर रोक लगा दी।
 फिर 2012 में म्यांमार के रखाइन में हिंसा भड़की फिर रोहिंग्या मुसलमानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसा हुई।
 2014 में तीन दशक के बाद म्यामार में हुई जनगणना में रोहिंग्या को नहीं गिना गया।
 फिर 25 अगस्त 2017 के बाद तेजी से इनके संबंध बिगड़ते गए फिर रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार की सेना पर हमला कर दिया तथा उनकी 30 चौकियों को क्षति पहुंचाई।
 फिर म्यांमार की सेना ने रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई करी।
 फिर म्यांमार से इन रोहिंग्यांओं को खदेड़ा गया और म्यांमार के उत्तरी रखाइन प्रांत में हिंसा के बाद इन्होंने पलायन शुरू कर दिया।
 लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश में शरण ली व भारत पहुंचे।
4. भारत सरकार की इन रोहिंग्याओं के खिलाफ क्या दलीलें हैं।
 बिना किसी वैध दस्तावेज के भारत-म्यांमार सीमा पार कर आए हैं रोहिंग्या।
 उत्तर-पूर्वी कॉरीडोर की स्थिति बिगाड़ सकती है रोहिंग्याओं की मौजूदगी।
 देश में बौद्धों के खिलाफ हिंसक कदम उठा सकते हैं रोहिंग्या।
 जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद, मेवात में रोहिंग्याओं के आतंकी संगठनों से जुड़ाव के संकेत।
 कई रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के साथ रिश्ते।
 अवैध रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
 रोहिंग्या मानव तस्करी हवाला कारोबार से जुड़े हैं।
 संयुक्त राष्ट्र की पहचान पत्र वाले 14 हजार रोहिंग्या भारत में रह रहे हैं ऐसा संयुक्त राष्ट्र कहता है,परंतु केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दिए हलफनामे में बताया है कि 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या भारत में है।
 रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना नीतिगत निर्णय है।
5. भारत में रोहिंग्याओं को मूलभूत अधिकार नहीं दिये जा रहे हैं जैसे कि भारत के नागरिकों को मिलते हैं इसलिए इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
 जिसमें प्रशांत भूषण रोहिंग्या मुसलमानों का पक्ष रख रहे हैं।
 और भारत का पक्ष भारत के महाधिवक्ता तुषार मेहता रख रहे हैं।
6. यह रोहिंग्या सीमा को पार करके आए हैं तो इसलिए अब यह शरणार्थी हो गए। तो यह शरणार्थी की तरह भारत में जो शरणार्थियों के अधिकार होते हैं उनको मांगते हैं तो भारत ने संयुक्त राष्ट्र की ऐसी किसी भी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं इसलिए भारत कतई बाध्य ही नहीं है कि इनको हम अधिकार दें।
7. इसमें मुख्य रूप से तीन देश सम्मिलित हैं पहला भारत, दूसरा बांग्लादेश, तीसरा म्यांमार तो ऐसे ही तीन पक्ष भी हैं सबने अपने-अपने पक्ष रखें।
 इसमें पहला पक्ष म्यामार का म्यामार कहता है की यह हमारे देश के लिए खतरा हैं इनको हम नहीं रखेंगे अपने देश में।
 दूसरा पक्ष बांग्लादेश का बांग्लादेश का कहना है कि यह शरणार्थी हैं इनको सुविधाएं तो देनी चाहिए पर हमारे पास अधिक संसाधन नहीं है इसलिए हम इनको नहीं रख सकते इसलिए भारत बड़ा देश है वहीं इनको जाना चाहिए।
 तीसरा पक्ष भारत का भारत की विदेश नीति में यह बात आ रही है कि म्यांमार-बांग्लादेश का पक्ष है और तीसरा पक्ष भारत का है भारत सबसे बड़ा इन तीनों में है।
 अब यह समस्या अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भी चली गई की इन रोहिंग्याओं का क्या होना चाहिए। इसमें कनाडा ने आन सान सू की नागरिकता वापस ली,  अमेरिका ने म्यांमार की कार्रवाई को जातीय सफाई कहा है, संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा कि म्यांमार ने सही नहीं किया।
8. आंन सान सू की ने भी कहा है कि रोहिंग्या के आतंकी तार हैं और भारत ने इसका समर्थन किया है, और आज भारत में इनके मानवाधिकारों की बात चल रही है।
9. आन सान सू की ने बिना अंतरराष्ट्रीय दबाव में आए, ना किसी के सामने झुक कर डंके की चोट पर कहा है कि मैं रोहिंग्या को नहीं रहूंगी। उन्होंने राष्ट्रहित में अपना पक्ष रखा है राष्ट्रहित पर अपना स्टैंड लिया है।
10. बंटवारे के समय रोहिंग्या के नेताओं ने जिन्ना के पास जाकर कहा था कि हमें भी आने वाले पाकिस्तान का हिस्सा बनाओ, तब जिन्ना ने साफ कहा था कि आप (अराकन प्रांत) प्रिंसली स्टेट्स और ब्रिटिश इंडिया का किसी का भी भाग नहीं है तो यह संभव नहीं कि हम आपको यहां मिला सकें।
11. यह रोहिंग्या समस्या आज की नहीं है यह म्यांमार को कब तोड़ना चाह रहे थे जब भारत टूट रहा था। जब यह म्यांमार को तोड़ रहे थे जब इन पर कोई सैनिक कार्रवाई, दमन, अत्याचार नहीं हुआ था। बौद्ध कट्टरपंथ किसी ने सुना नहीं था। तब वह म्यांमार को तोड़कर आने वाले पाकिस्तान में मिलना चाह रहे थे।
12. 25 वर्षों में इनकी जनसंख्या इतनी बड़ी है की एक दशक में अनुपातित 10 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि होती है और इनकी 20% वृद्धि हुई है। यह बांग्लादेश से आते जाते रहते हैं इसलिए म्यांमार कहता है कि ये बांग्लादेश से आए हैं।
13. यह रोहिंग्या हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है
 मुंबई में आजाद मैदान में 2012 में बहुत बड़ी हिंसा हुई थी जिसमें हमारे शहीदों के स्मारकों को तोड़ा गया था। जिन्हें आजाद मैदान दंगों के नाम से जाना जाता है।
 वर्ष 2012 में ही जम्मू के बठिंडी में 10 हजार रोहिंग्या रातों-रात बसा दिए गए। कल जम्मू बंद होने जा रहा है वहां इतनी जनसंख्या है कि इनकी दुकान में भी खुलवा दी हैं, यह वह जम्मू का इलाका है जो पहले से ही इतना संवेदनशील है।
14. बठिंडी इलाका है एलओसी(LOC) से सिर्फ 100 किलोमीटर दूरी भी नहीं है। वहां पर UPA की सरकार ने ऐसे समुदाय को बसा दिया है जिनकी पृष्ठभूमि आतंकी है। जातीय हिंसा, सांप्रदायिक हिंसा आज से नहीं दशकों से रची बसी है इन रोहिंग्याओं में।
15. और यह देश के सबसे संवेदनशील जगहों पर बसे हैं जहां बस एक चिंगारी की जरूरत होती है जैसे दिल्ली, हैदराबाद, जम्मू कश्मीर। यह बांग्लादेश से 10 हजार की संख्या में आए हैं ऐसा तो है नहीं किए रातों-रात बस गए इनको योजनाबद्ध तरीके से बताया गया है और इनके आधार कार्ड भी बनाए गए हैं।
16. अभी मणिपुर में दो लोग पकड़े गए हैं जिनके पास संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (UNHCR) के रिफ्यूजी कार्ड भी हैं और भारत के आधार कार्ड भी हैं। इन्होंने बैंक में अपने खाते भी खुलवा लिये हैं और यह वहां रहकर बिजनेस भी करते हैं। यह ड्रग्स रनिंग करते हैं, गन रनिंग करते हैं। यह आतंकी घटनाओं में शामिल पाए गए हैं।
17. मैंने पहले भी बताया है कि हमने किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं इसलिए भारत कतई बाध्य नहीं है भारत एक जिम्मेदार देश होते हुए भी शरणार्थियों की समस्या से पीछे नहीं हटता। हमने अनगिनत शरणार्थियों को पनाह दी है क्योंकि वह भारत को हमेशा मां मानते हैं।
18. सबसे पहले आजाद भारत में तिब्बत से शरणार्थी आए। उन्हें जम्मू-कश्मीर के लद्दाख जैसे शांत परिवेश में उन्हें बसाने के लिए अच्छी सामाजिक, सांस्कृतिक जलवायु जैसा परिवेश उपलब्ध कराना था।
 लेकिन जम्मू-कश्मीर ने उन्हें लेने से मना कर दिया कहा कि इन्हें हम नहीं ले सकते क्योंकि यह बौद्ध हैं।
 भारत को उन्हें बेंगलुरु, धर्मशाला, उड़ीसा जैसी जगहों पर बसाना पड़ा था।
 लेकिन जम्मू कश्मीर ने कहा इनमें से जो मुस्लिम शरणार्थी हैं उन्हें हम लेंगे और उन्हें श्रीनगर में बसाया गया।
19. कश्मीर के स्वर्ग में जिसे भारत की आन, बान, शान कहा जाता है हम यहां के मूल निवासी हैं। हमें वहां बसने का अधिकार नहीं है, परंतु रोहिंग्याओं को रातों रात बसा देते हैं और हमें आंख दिखाते हैं अगर इन्हें हिलाया तो तुम्हारी खैर नहीं है। यह हालत हमने अपने देश में कर दिए हैं तुष्टीकरण के माध्यम से।
20. आज मेरे देश की विडंबना है की हमारे देश का एक बहुत बड़ा वर्ग, बुद्धिजीवी वर्ग यह ढूंढ रहा है कि भारत ने कौन-कौन सी अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं। जहां स्वयंभू सेक्युलरिस्ट रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने के लिए आंदोलनरत हैं तो पड़ोसी देशों में प्रताड़ित हिंदू अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के विरोध में जुटे हैं।
 यह बात रोहिंग्या नहीं उठा रहे हमारे देश के बुद्धिजीवी (पढ़ें-लिखे अनपढ़) ही इस बात को उठा रहे हैं।
21. आज जो स्वघोषित सेक्युलरिस्ट या स्वयंभू उदारवादी विधेयक का विरोध कर रहे हैं और विदेशी मूल के रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने के लिए आंदोलनरत हैं उससे स्पष्ट होता है कि विभाजन के 72 वर्ष बाद भी भारत-पाकिस्तान को जन्म देने वाली जहरीली मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया है। कश्मीर सहित देश के कुछ अन्य हिस्से इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
 कालांतर में पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए लाखों गैर मुस्लिम शरणार्थी, नागरिकता संशोधन बिल के राज्यसभा से पारित होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
 इसमें से अधिकांश मजहबी उत्पीड़न और इस्लामी कट्टरता के कारण पिछले कई दशकों से भारत में शरण लिए हुए हैं ऐसे में विधेयक का सियासी विरोध अफसोसजनक है।
 क्योंकि ऐतिहासिक रूप से सभी हिंदू, सिख, जैन, बौद्धों आदि का प्राकृतिक घर वही भारत है जिसका विभाजन कर दिया गया था।
 त्रासदी देखिए कि जिस भूभाग में सिंधु-सरस्वती नदी के तट पर वैदिक साहित्य की रचना हुई थी, वहां उस मूल संस्कृति का नाम लेने वाले सम्मान के साथ जीवन जीने के मौलिक अधिकार से वंचित हैं।
22. यह समस्या बहुत पुरानी है बहुत पहले से चली आ रही है इनको आधार कार्ड तो बहुत पहले से दिए जा रहे हैं और अब यह याचिका भी डालते हैं कि हमें मौलिक अधिकार चाहिए।
 मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद साकिर ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि हमें मूलभूत सुविधाएं चाहिए।
23. अब प्रश्न उठता है यह भारत में आए कैसे? यदि भारत में आए तो भारत सरकार ने इन पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया।
24. सीमा पार से एक नहीं हजारों की संख्या में शरणार्थी आए भारत में फैल जाते हैं इनके तार आतंकी संगठनों से मिलते हैं और हमारे देश में प्रशांत भूषण जैसे वकील उनके समर्थन में खड़े हो जाते हैं। यह दलील देते हुए उनको मूलभूत सुविधाएं दी जाए। इसमें भारत के मूल निवासियों का हक छीन कर इनको देना हैं इसके पीछे की मंशा क्या है।
25. यहां एक वकील नहीं है, कई कद्दावर चेहरे हैं प्रशांत भूषण, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद सब का कतार बना कर खड़े हैं।
 यह देश के वो वकील है जिनको कोई अवोर्ड नहीं कर पाता यह शरणार्थियों का केस लड़ रहे हैं और देशविरोधियों के लिए सर्वोच्च न्यायालय को हिलाए हुए हैं।
26. देश में हिंदू अपने घर में हिंदू नहीं है, कश्मीरी पंडित अभी तक कैंपों में रह रहे हैं उनके लिए कई जगह पक्की छत का इंतजाम नहीं हो पाया है जहां पर पक्की छत है वहां उनको समय पर अनाज और सहायता राशि नहीं मिलती।
 अपने घर वो 28 वर्षों से नहीं जा पाए हैं। उनके खिलाफ जो बलात्कार हुए हैं, हत्याएं हुई हैं, मंदिर टूटे हैं आज तक उनके एक दोषी को सजा नहीं मिली है किसी पर मुकदमा नहीं चल सका है।
 कश्मीर में स्कार्डन लीडर खन्ना को प्वाइंट ब्लैक रेंज पर ‘यासीन मलिक' ने मारा और कबूल किया है बीबीसी के शो HARDtalk पर।
 विदेश में जाकर इनका इलाज कराती थी भारत सरकार ।
27. इस देश की छोड़िए पाकिस्तान से हिंदू शरणार्थी आते हैं यहां महीना पड़े रहते हैं उनका महीनों में किस्तों में वीजा को एक्सटेंड करा जाता है।
 और अभी बेरहमी से 13 हजार बूढ़े, बच्चे, महिलाओं को रेलगाड़ी से वापस पाकिस्तान भेज दिया गया।
28. संयुक्त राष्ट्र के हिसाब से 14 हजार शरणार्थी UNHCR के शरणार्थी कार्ड धारक भारत में रह रहे हैं परंतु भारत सरकार का कहना है की 40 हजार हैं और इससे अधिक और होने की आशंका है। भारत जैसे विशाल देश में जहां गरीबी, बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। वहीं को मूलभूत सुविधाएं देने की बात चल रही है और इन की पृष्ठभूमि आतंकी है।
 आज लोग भारत में लड़ते भिड़ते जा रहे हैं और आप आज एक और वर्ग को यहां बसाए हुए हैं यहां सीमित संसाधन हैं।
 यह रोहिंग्या अपना हक जमा रहे हैं यहां पर जो यहां के नागरिक तक नहीं है।
 और इनके समर्थन में पूरी की पूरी जमात खड़ी हो जाती है।
 इस देश में जब तक जनमानस नहीं जागेगा, जन आक्रोश नहीं आएगा जब तक यहां का प्रशासन और सरकार सही फैसले लेने में कोताही करेगी जब तक यह रोहिंग्या सुप्रीम कोर्ट में भी जाते रहेंगे और इनकी पैरवी करने वाले भी सामने आएंगे।
29. भारतीय नागरिकों के अधिकारों को छीन कर आप इनकी पैरवी करेंगे तो कैसी स्थिति होगी। क्या इससे भारत में विद्रोह नहीं पनपेगा, भारत के स्थानीय नागरिक जो हकदार हैं उन संसाधनों के उनके स्थान पर यदि रोहिंग्या को देंगे तो हिंसा नहीं होगी क्या?
 देश में गृह युद्ध जैसे स्थिति पैदा हो सकती हैं।
30. अमेरिका ने मानव अधिकारों पर बहुत बल दिया था। यह बात अमेरिका ने पूरे विश्व में फैलाई थी, और उसने अपनी तुलना सोवियत संघ से करी थी। इसलिए एक दवाब रहता था हर देश पर इसी परिपेक्ष में भारत ने भी माना कि हां कोई आएगा तो हम भी उसे शरण देंगे।
 इसी क्रम में तिब्बत से शरणार्थी हमने ले लिये।
 यह नहीं सोचा कि यह कहां रहेंगे या कब तक रहेंगे क्या खाएंगे। बस शरण दे दी।
 इसी क्रम में श्रीलंका से आए।
 इसका असर भारत पर क्या होता है शरणार्थी की समस्या को हम राजनीति हित में ना देखें, मानवीय समस्या ना देखे, हम राष्ट्रीय महत्व दें राष्ट्रहित में देखें।
31. इन सब देशों में इसका अभाव रहा है अमरीका, युरोप के सब कह रहे हैं कि राष्ट्रहित यह है कि बाहर से लोगों को हम चुन कर ही लेंगे या जिनको हम लेना चाहते हैं उनको ही लेंगे हम जिसको वीजा देते हैं उनको ही लेंगे। ऐसे ही किसी को भी अंदर आने नहीं देगें।
 इसलिए आज डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको वॉल बनाने को बनाने को प्राथमिकता बनाया है इसी के चलते अमेरिका में सबसे लंबा सन्डाउन हम सब ने देखा।
 यूरोप, जर्मनी भी कह रहा है जो लोग सीरिया से आए हैं उनको हम वापस भेजेंगे।
 तो एक विचारधारा बदल रही है विश्व भर में।
32. वर्तमान मोदी सरकार के सामने समस्या क्या है कि जो हैं उनका क्या करें? और आने ना देने की नीति बनाना इस शासन ने इस बात पर तो लगातार जोर दिया है कि हमें उन्हें वापस भेजना ही है।
 अब जो लोग बसाए गए हैं वह क्षेत्र राज्य के अंतर्गत आता है तो केंद्र सरकार क्या करें।
33. मोदी सरकार ने एलान करके सेना को कह दिया है कि अब रोहिंग्या सीमा से किसी भी हालत में अंदर नहीं आने चाहिए यह बड़ी बात है। इसकी नीति निर्धारित करनी है और यह काम ये सरकार ही कर सकती है।
 जब अब सीमा पर रोक लग गई तो अब जो अंदर है उनको बाहर कैसे भेजा जाए और देश में इसकी भी सहमति हो रही है या हो जाएगी।
34. अधिकार तो राष्ट्र हित के नीचे ही होते हैं अधिकार राष्ट्र के ऊपर नहीं जा सकते। देश का दुर्भाग्य है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। आतंकवादी की बरसी मनाई जाती है। और उस पर भी राजनीति होती है उसके समर्थन में भी राहुल, केजरीवाल की जमात खड़ी हो जाती हैं। कश्मीर में भारत का झंडा जलाया जाता है वहां राष्ट्रगान नहीं गा सकते राष्ट्रध्वज को फहरा नहीं सकते स्वतंत्रता के साथ में।
 वंदे मातरम, भारत माता की जय घोष नहीं कर सकते।
 वंदे मातरम पर खड़ा होना है या नहीं इस पर भी राजनीति होती है।
35. ऐसे में विरोधियों को तो हम पाल रहे हैं वह रोहिंग्या तो शरणार्थी हैं और अतिथि देवो भव की परंपरा तो हमारी ही रही है। इसमें हम कैसे पता लगाएंगे कौन जयचंद है, कौन आस्तीन का सांप है, कौन रक्तबीज है।
36. दुनिया ने इसका समाधान खोज लिया है जो अमेरिका कभी मानव अधिकारों की बात करता था उसका झंडा बुलंद किया रहता था उस अमेरिका ने नाम लेकर 7 देशों को कह दिया है कि हम इनको अपने देश में घुसने नहीं देंगे इनको हम वीजा नहीं देंगे।
 मिडिल- ईस्ट से जो शरणार्थी आते हैं हम उन्हें अपने देश में घुसने नहीं देंगे यह घोषणा करके कहा है।
 यूरोप ने घोषणा करके कहा है इन रास्तों से लोग नहीं गुजरेंगे।
 हंगरी, पोलैंड ने फेंसिंग कर दी।
 फिलीपींस ने बाहरी लोगों के लिए नियम कड़े कर दिया क्योंकि यह इनके नागरिकों को अधिकार छीनते हैं।
37. जो भी देश अपने भविष्य के प्रति आशंकित हैं। और उन्हें लगता है यह मुसीबत होने वाली है दूर तक देख सकते हैं वैसे राष्ट्रहित में फैसले ले रहे हैं। हमने ही ठेका ले लिया है कि हम यहां पर धर्मशाला बना देते हैं जो कोई आए उसे आसरा देंगें।
 अमेरिका कभी मानव अधिकार का नेतृत्व करता था उसने 7 देशों के नाम लेकर कह दिया कि अगर यहां से कोई भी आया उनकी खैर नहीं है तो हमको अपनी विदेश नीति को बदलने में क्या आपत्ति है।
38. दुनिया भर में भारत के लोग जाते हैं उन्हें वहां आश्रम मिलता है और उन्हें समान अधिकार देकर के वहां की सभ्यता ने वहां के समाज ने उन्हें स्वीकार किया है। जो इस आतिथेय का दुरुपयोग करते हैं इसे मूर्खता समझ कर इसका नाजायज फायदा उठाते हैं, समाज को तोड़ने, समाज को नोचने में लग जाते हैं। उनके प्रति हमें आगाह रहना ही पड़ेगा।
 हमारे सामने उदाहरण है मध्य एशियाई देशों में भारतीय लोग 40-50 वर्ष काम करते हैं उन्हें नागरिकता के अधिकार नहीं मिल पाते। और फिर उन्हें उनके देश वापस भेजा जाता है और वो वहां दूसरे दर्जे का नागरिक के तौर पर रहते हैं। परंतु विद्रोह नहीं करते।
 80% से ज्यादा जनसंख्या आज पश्चिमी एशिया के देशों में भारतीय मूल के लोगों की है जो दूसरे दर्जे के नागरिक के तौर पर रहते हैं सर झुका कर पालन करते हैं वहां की व्यवस्था को एक अनुशासित समाज के रूप में रहते हैं इसलिए वहां पर जगह भी पाते हैं।
 हमारे सामने आज अनेक उदाहरण हैं जो भारतीय मूल के नागरिक हैं और अब अन्य देशों ने उन्हें नागरिक नागरिकता प्रदान की है। वो वहां के बड़े-बड़े पदों पर आसीन हैं वहां की संसद के सदस्य हैं। कनाडा हो, अमेरिका हो, ब्रिटेन हो सब जगह भारतीयों को परचम लहरा रहा है क्योंकि भारतीय अनुशासित हैं।
 अभी अमेरिका मैं राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए गीता गवार्ड का नाम हमारे सामने आया है।
 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख गीता गोपीनाथ भी भारतीय मूल की हैं।
 सत्यम शिवम सुंदरम की तिगड़ी से हम सभी परिचित हैं।
 यह सब भारतीय मूल के हैं इन्होंने वहां की संस्कृति वहां के अधिकारों का सम्मान किया और आज इसलिए उन देशों ने भारतीय मूल के निवासियों को सहर्ष स्वीकार करा।
39. लेकिन आप कानून ना माने और वहां के समाज को क्षति पहुंचाने में लग जाएं फिर समाज का कर्तव्य है कि उनसे अपनी रक्षा करना। सबसे पहला यह कर्तव्य बनता है कि हम तभी दूसरों की सहायता करने में सक्षम होंगे जब हम जीवित रहेंगे।
40. इसलिए यह सिद्धांत सर्वोपरि होना चाहिए राष्ट्र का हित, आत्मरक्षा सबसे पहले आनी चाहिए। और उसके चलते समाज को भेद करना पड़ेगा अपनी नीति में कि कौन आए और कौन ना आये। यह भेद हर एक के लिए करना पड़ेगा सबके लिए one size fit in all  ये नहीं चलेगा।
41. तिब्बतियों का मैंने पहले जिक्र किया था वह बहुत शालीनता से रहे उन्होंने हमारे कानूनों को माना उन्होंने भारत को पुण्य भूमि के रूप में देखा आदर किया आज भी दलाई लामा कहते हैं कि भारत मेरा गुरु है। वह जिस श्रद्धा के साथ भारत भूमि को नमन करते हैं। वो श्रद्धा उन्हें भारत में रहने का अधिकार देती है।
42. पर आज जब पाकिस्तान से, बांग्लादेश से हिंदू शरणार्थी आते हैं तो हम उन्हें साला पाकिस्तानी कहते हैं, वहां पर उन्हें साला का काफीर कहते हैं। वो प्रताड़ित होने पर मजबूर हैं उनको सर छुपाने की पूरी दुनिया में कहीं जगह नहीं है और उसके बावजूद हम उन्हें रेलों में भर कर वापस पाकिस्तान भेज देते हैं।
 यह कहां की मानवीयता है आप सबको शरणार्थी बना कर पालेंगे।
 और दुनिया भर से हिंदू आएगा प्रताड़ित होकर वह देश में अपनी जगह नहीं बना पाएगा यह देश का दुर्भाग्य है इसकी व्यवस्था और शासन को जिम्मेदारी लेनी ही पड़ेगी।
43. अब मैं इसके के निष्कर्ष की ओर बढ़ता हूं। यह रोहिंग्या समूह में आते हैं और किसी मोहल्ले में जाकर रहने लग जाते हैं जब यह वहां रहते हैं तो वहां के जो स्थानीय नागरिक हैं पहले से भारत में रह रहे हैं वह पीने का पानी भी अपनी इच्छा से भी नहीं ले सकते इतना आतंक मचा के रखते हैं रोहिंग्या।
 जो मूलभूत सुविधाएं भारतीयों की है उनका उन पर कोई अधिकार नहीं रह जाता। इनके एरिया ऐसे चिह्नित कर दिए जाते हैं इन रोहिंग्याओं के लिए।
 कि वहां पर पुलिस भी डर के मारे नहीं जाती है इस तरीके का आतंक मचाते हैं तो इस स्थिति में इनके साथ क्या करें?
44. सबसे पहले यह भारत में कैसे घुसे यह जानना सबसे महत्वपूर्ण है। बिना मिलीभगत या political support के नहीं आ सकते इक्का-दुक्का भले ही आ जाए पर हजारों की संख्या में नहीं आ सकते।
 इनको जमीन अलॉट हो जाती है।
 बिजली का कनेक्शन मिल जाते हैं।
 बैंक में अकाउंट खुल जाते हैं
 आधार कार्ड बन जाते हैं।
 दुकाने अलोट हो जाती हैं।
 यह बिना व्यवस्था, बिना राजनीतिक मिलीभगत के हो नहीं सकता संभव ही नहीं है।
45. सबसे पहले जिन्होंने ऐसा किया है उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए और दूसरा यह कि हम हाथ बांध के नहीं बैठ सकते कि साहब देखिए कि अब तो जो आ गए अब और मत आने दीजिए।
 नहीं यह चलेगा आप को इन्हें वापस भेजना ही पड़ेगा इनका प्रत्यर्पण करना ही पड़ेगा यह जिस मानसिकता के हैं वह मानसिकता बहुत आक्रमण और हिंसक है।
 इसमें कोई विकल्प नहीं सरकार को इनके प्रत्यर्पण का संकल्प ही करना पड़ेगा।
 वह जिन स्थानों से उखड़ कर आए हैं वह अपनी इसी आक्रामकता के कारण उखड़ कर आए हैं हम इन्हें पचा नहीं पाएंगे हम बहुत सौहार्दपूर्ण समाज हैं।
 हम अपनी जनसंख्या का संतुलन बिगड़ने नहीं दें सकते इसको लेकर लंबे समय तक उत्तल पुथल चलेगी।
 इसके ऊपर और कोई मान्यता, कानून लागू नहीं होगा सिर्फ हमें अपने देश का बचाव करना है अपना बचाव करना है हमें अपने हितों को साधना है बस यही सोचना है।
46. UNHCR संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने कहा है कि म्यांमार में इनको भेजने कि अभी स्थिति नहीं है तथा यह जिस देश में रह रहे हैं वह देश उन्हें मूलभूत सुविधा दे। हमें यह बात ध्यान रखनी होगी कि ये बात संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसी UNHCR ने बात कही है या  संयुक्त राष्ट्र ने नहीं कही है।
 भारत का कहना है वर्ल्ड कम्युनिटी से कि हम सबको मिलकर रखाइन का विकास करना चाहिए।
 इसमें अगर भारत आगे बढ़ता है तो इससे भारत की ख्याति भी बढ़ेगी और भारत की सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगी।
 म्यामार इसके लिए कुछ तैयार है तथा वर्ल्ड कम्युनिटी को तैयार भी करना चाहिए।
 जिन लोगों पर आरोप है उन पर कानूनी कार्यवाही म्यांमार स्तर पर करनी चाहिए।
 जो लोग हिंसक हैं जिन्होंने हिंसा में भाग लिया है उनको अलग निकाल कर उन्हें वापस भेजना शुरू करना चाहिए।
 जो आ गए हैं उन्हें निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाए वह बांग्लादेश के रास्ते जाएंगे तो बांग्लादेश से बात करें।
47. अभी चर्चा यह हो रही है शरणार्थी टैन्टों में हैं इनकी कैंप में अच्छी व्यवस्था करें नहीं हमें अब यह सोचना ही नहीं है। अब यह सोचना है कि हमें इन्हें देश में नहीं रखाना इनको भेजना ही है वहां कैसे व्यवस्था हो यह विश्व स्तर पर बात करनी चाहिए भारत का हमें केंद्र बिंदु यह बनाना है कि इन्हें वापस भेजना है क्या हम ऐसे वैकल्पिक मार्ग का निर्माण कर सकते हैं क्या?
48. विडंबना यह है कि करोड़ों बेघर वाले लोगों का देश भारत रखाइन में रोहिंग्या के लिए 50 पक्के मकान बना रहा है(India-Myanmar friendships project)  लेकिन दिक्कत यह है कि उन बस्तियों में म्यांमार रोहिंग्याओं को रहने नहीं देगा।
 क्योंकि आज जितने भी गांव रोहिंग्याओं से खाली कराये हैं वहां की सेना ने वह वहां पर चटगांव हिल ट्रक से विस्थापित हुए चकमा जाति के लोगों को बुला-बुला कर बसा रहे हैं क्योंकि वह बौद्ध हैं।
 यह वह चकमा tribe, chatgaon hill tract से बांग्लादेश की सांप्रदायिक हिंसा का शिकार होकर के भारत में शरण लिए हुए थे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश में।
 म्यांमार चाहता है यह लोग आकर बस जाएं भले ही लेकिन रोहिंग्या नहीं आनी चाहिए और भारत अपने सीमित संसाधनों में वहां जाकर मकान बना रहा है।
49. यह रोहिंग्या वापस वहां जाएंगे मुझे नहीं लगता जिन रोहिंग्याओं को आप यहां इतनी अच्छी तरह से पाल- पोस रहे हैं मुफ्त की सुविधाएं मिल रही है उनको संयुक्त राष्ट्र संघ भत्ता देता है और यहां ये 10 तरह के काम करते हैं आजादी से घूमते हैं वह क्यों इतना अच्छा माहौल छोड़कर वापस जाएंगे।
 हमारे देश के पास वो राजनीतिक शक्ति नहीं है जो इन्हें जबरदस्ती वापस भेज कर दिखाये। यह जबरदस्ती का विचार पाकिस्तान से आए शरणार्थियों बिचारे हिंदुओं पर ही लागू कर सकते हैं।
 हमने IMDT Act 1983 बनाया अपने कानूनों को इतना बिगड़ा कि सर्वोच्च न्यायालय को यह कहना पड़ा कि इसे निरस्त करो।
 सीमा पर सैनिकों को ये अधिकार नहीं है कि वह घुसपैठियों पर गोली चला दे। क्या किसी तथ्य की हमें आवश्यकता है कि हम ऐसी कार्रवाई में किसी देश का नाम ले सके।
50. इसलिए भारत को खुला मैदान समझ कर चले आते हैं विडंबना यह है कि हिंसक प्रवृत्ति के लोग भारत से दुश्मनी रखने वाले लोग आते हैं। इसके लिए प्रबल राजनीतिक इच्छा की जरूरत है। जो काम स्वयं करना है उसे स्वयं करना पड़ेगा विपक्ष कभी साथ नहीं देगा।
51. अपना घर जलाकर दिवाली कभी नहीं मनाई जाती।







रवि
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धन्यवाद