Thursday 20 February 2020

आज द्रोणाचार्य का अस्तित्व यदि अर्जुन से है तो अर्जुन का अस्तित्व द्रोणाचार्य से है।

आज द्रोणाचार्य का अस्तित्व यदि अर्जुन से है तो अर्जुन का अस्तित्व द्रोणाचार्य से है। एक दूसरे को सर्वश्रेष्ठ बनाने में दोनों ने अपना जीवन खपा दिया था। यह दुनिया की सबसे सफल गुरु-शिष्य परंपरा है, आपस में दुश्मनों की तरह लड़े भी, पर दोनों की सर्वश्रेष्ठ बनाने की ध्येयनिष्ठा को कोई डिगा नहीं पाया। आज के शिक्षक-विद्यार्थी इस अस्तित्व की लड़ाई को इसलिए लड़ना नहीं चाहते क्योंकि वह अपना अस्तित्व चाहते हैं पर दूसरे का नहीं। इसलिए आज ना तो अच्छे शिक्षक विद्यार्थियों को मिल रहे हैं, ना अच्छे विद्यार्थी शिक्षकों को। 
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