Friday 24 April 2020

न अभिषेकों न संस्कारः सिंघस्य कियते वने ।विक्रमाजिर्तस्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ।। अर्थ - सिंह(शेर) को जंगल का राजा बनने के लिए राज्याभिषेक समारोह की आवश्यकता नही होती वह अपने कार्यों तथा साहस से स्वयं राजा बनता है ।

न अभिषेकों न संस्कारः सिंघस्य कियते वने ।
विक्रमाजिर्तस्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ।।
अर्थ - सिंह(शेर) को जंगल का राजा बनने के लिए राज्याभिषेक समारोह की आवश्यकता नही होती वह अपने कार्यों तथा साहस से स्वयं राजा बनता है ।


विपत्सु वज्रधैर्याणां संग्रामे वज्रदेहिनाम्। 
संघो राष्ट्रविपत्काले सद्वज्रकवचायते।।
अर्थ - विपत्ति के समय पराकाष्ठा का धैर्य रखनेवाले को संग्राम के अवसर पर वज्र के सदृश दृढ देह वाले और राष्ट्र पर जब आपत्ति आती है, तब राष्ट्र को संगठित शक्ति ही उत्तम वज्र की तरह कवच बनकर बचाती है।


अमंत्रमक्षरं नास्ति, नास्ति मूलमनौषधम्।
अयोग्यः पुरूषो नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभः।।
अर्थ: कोई भी अक्षर ऐसा नही होता है, जिससे मंत्र नही बन सकता। ऐसी कोई वनस्पती ऐसी नही जिससे औषधी नही बन सकती है। कोई भी व्यक्ति का निरुपयोगी नही होता । केवल योजक(उपयोग जानने वाला) की आवश्यकता होती है।

Thursday 20 February 2020

आज द्रोणाचार्य का अस्तित्व यदि अर्जुन से है तो अर्जुन का अस्तित्व द्रोणाचार्य से है।

आज द्रोणाचार्य का अस्तित्व यदि अर्जुन से है तो अर्जुन का अस्तित्व द्रोणाचार्य से है। एक दूसरे को सर्वश्रेष्ठ बनाने में दोनों ने अपना जीवन खपा दिया था। यह दुनिया की सबसे सफल गुरु-शिष्य परंपरा है, आपस में दुश्मनों की तरह लड़े भी, पर दोनों की सर्वश्रेष्ठ बनाने की ध्येयनिष्ठा को कोई डिगा नहीं पाया। आज के शिक्षक-विद्यार्थी इस अस्तित्व की लड़ाई को इसलिए लड़ना नहीं चाहते क्योंकि वह अपना अस्तित्व चाहते हैं पर दूसरे का नहीं। इसलिए आज ना तो अच्छे शिक्षक विद्यार्थियों को मिल रहे हैं, ना अच्छे विद्यार्थी शिक्षकों को। 
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Tuesday 31 December 2019

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है हर कोई है घर में दुबका हुआ नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो निज मन में तनिक विचार करो नये साल नया कुछ हो तो सही क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही।
#only calander change not year.

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहींहै अपना ये त्यौहार नहीं

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं

Thursday 17 October 2019

foreign policy

भारत विश्व को यह विश्वास देता है कि हम वसुधैव कुटुंब की भावना सदैव बनाए रखेंगे, परन्तु C.T.B.T पर भारत हस्ताक्षर नहीं करेगा। भारत का इतिहास साक्षी है कि हम बिना C.T.B.T के भी विश्व में उस समय से शांति ला रहे हैं जब दुनिया ने वैश्विक शांति शब्द ही नहीं सुना था और आज भी वैश्विक शांति का अर्थ इन लिए सिर्फ अपने देश की सुरक्षा है।
#USA #China #Russia #UK #France

Thursday 16 May 2019

indian nationalism

कमुनिस्ट इतना पढ़ते हैं कि उन्हें दाढ़ी काटने तक का समय नहीं मिलता और हमारे देश के लोगों का बौद्धिक स्तर यह है कि हम यह तक नहीं समझ पाते कि भारत के पक्ष कौनसा विचार है और भारत के खिलाफ में कौनसा।
#Discourse
#Narative
#policyholder

Wednesday 10 April 2019

नोटा

नोटा
1. आज एक नया चुनावी विकल्प हमारे सामने आया है नोटा (NOTA) इसका अर्थ है कि यदि आपको कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है तो आप नोटा को वोट दे सकते हैं। यह लोकतंत्र को कमजोर करता है और देश का पैसा भी खर्च करता है।
2. शहरी नक्सलवादी भी देश में नोटा का समर्थन करते हैं। जिससे देश में कोई स्थिर सरकार ना बने और आज देश में नोटा का प्रतिशत काफी बढ़ गया है। आज देश का बहुत बड़ा वर्ग जिसे आप बुद्धिजीवी या तथाकथित पत्रकार कहते हैं वह चाहते हैं देश में कोई भी राष्ट्रवादी स्थित सरकार ना बन सके यदि सरकार बनती है तो इनकी मनमानी बंद हो जाएगी।
3. नोटा का प्रयोग 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुरू हुआ था सुप्रीम कोर्ट ने कहा था की देश की जनता के पास विकल्प होना चाहिए यदि कोई उम्मीदवार अच्छा नहीं है तो हम वहां पर अपनी असहमति दर्ज करा सकें इसलिए नोटा का प्रयोग का चलन चालू हुआ।
4. क्या नोटा हमारे लिए सच में सही विकल्प है या गलत या फिर हमने नोटा से देश के एक ऐसे वर्ग को स्वतंत्रता दे दी है जिनकी संविधान में आस्था नहीं है क्या यह उनके लिए खुशी का मौका है।
5. आजकल NOTA (None Of The Above)  का बड़े जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है और लोग बड़े उत्साहित हैं कि अगर हमे किसी भी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार पसंद नही आयेगा तो हम  NOTA  का बटन दबा देंगे ! लेकिन उन्हे शायद यह मालूम नही है कि यह पूरी तरह अर्थहीन और बेकार ही साबित होगा !
6. NOTA का बटन दबाने का सीधा सीधा मतलब आज की तारीख मे बिल्कुल ऐसा ही है मानो कि आप घर से निकलकर वोट देने ही नही गये ! इसलिये जिन लोगों ने NOTA का बटन दबाया है और जिन लोगों ने किसी भी वजह से अपना वोट नही दिया है, उन दोनो मे कोई अंतर नही है !
7. NOTA कैसे बेअसर है, इसे एक उदाहरण से बेहतर समझा जा सकता है ! मान लीजिये कि किसी निर्वाचन क्षेत्र मे अलग अलग राजनीतिक पार्टियों के तीन उम्मीदवार खड़े किये गये है सभी की अपराधिक छवि रही है और ज्यादातर जनता उन्हे वोट नही देना चाहती  और NOTA का इस्तेमाल करना चाहती है ! इन तीनो उम्मीदवारों के नाम मान लेते हैं कि X, Y और Z हैं ! इस निर्वाचन क्षेत्र मे कुल 100000 मतदाता है और यह मानते हुये कि शत प्रतिशत मतदान हो रहा है, 90000 मतदाता NOTA का बटन दबाते हैं ! बाकी के बचे हुये 10000 मतदाता जो वोटिंग करते है, उसके परिणाम कुछ इस प्रकार से हैं :
X को 3333 मत
Y को 3333 मत
Z को 3334 मत  (आपराधिक छवि वाला विजय उम्मीदवार)
8. कुल 10000 मतअब इस नतीजे का मतलब यह हुआ कि 100000 के मतदाता वाले निर्वाचन क्षेत्र मे  उम्मीदवार “Z” को जिसे सिर्फ 3334 (सर्वाधिक) वोट मिले हैं, उसे विजयी घोषित कर दिया जायेगा ! यह बात हैरानी वाली तो है लेकिन नियम हमारी सरकार ने कुछ इस तरह से ही बनाये है, जिनको लोग सोचे समझे बिना ही NOTA-NOTA की रट लगाये ज़ा रहे है !
9. NOTA के चक्कर मे ना आकर लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करें, इसी मे समझदारी है-सभी उम्मीदवार नापसंद हों तो जो उम्मीदवार उनमे से सबसे बढिया हो, उसे वोट करें !
10. मेरा आप सभी से अनुरोध है इन चुनावों में नोटा का इस्तेमाल लोग ना करें उसके बारे में आप समाज में जाकर जागृति फैलाएं क्योंकि नोटा देश हित में नहीं है यह देश के विकास में बाधक है।
11. मैं मानता हूं कि यदि कोई दल अपने उम्मीदवार को गलत तरीके से खड़ा करता है तो उसको हटाने का हमें हक होना चाहिए परंतु उसका विकल्प नोटा नहीं है उसका विकल्प चुनाव आयोग को स्वयं देखना चाहिए उस पर कुछ प्रतिबंध लगाने चाहिए या फिर कुछ पात्रता रखनी चाहिए जिससे राजनीति दल ऐसे उम्मीदवारों को ना खड़ा कर सके परंतु यदि हम नोटा का प्रयोग करके उन्हें हटा दें तो उससे देश का पैसा भी खर्च होता है और किसी भी दल को बहुमत नहीं मिल पाता जिससे क्षेत्र की व्यवस्था बाधित होती हैं उस क्षेत्र का विकास रुकता है ऐसा मैं मानता हूं इसलिए हमें नोटा का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करना चाहिए।
12. चुनावों में हमें किसी न किसी उम्मीदवार को तो वोट देना ही चाहिए। परंतु नोटा सही विकल्प नहीं है। यदि कंस व रावण में किसी एक का चुनाव करना हो तो हमें रावण को चुनना चाहिए क्योंकि वह विद्वान था।

धन्यवाद







रवि
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